देखो कैसे आँखों का पानी चौराहे पर सूख गया
कुछ पत्थर बनकर निकला कुछ ख़ुद में बंदूक़ हुआ
घर का दीपक कहीं बुझा, माँ बिलखती आँगन में
सिसकी रोते-रोते चुप है, सहमी विधवा दामन में
तू कैसे कलमा आज पढ़ेगा, कैसे कृष्ण को गाएगा
कैसे तुझमें क़लाम बसेगा, कैसे क़ुरान पढ़ पाएगा
हवा प्रदूषित कहने वाले, दूषित ख़ुद को बना गए
आज रेशमी दिल्ली को इसके ही कीड़े जला गए
हरा रंग है आज लड़ा और भगवा अपने भाई से
सफ़ेद रंग पर लाल खून है, रब से हुई लड़ाई रे
शांति धर्म की एक सीख है, तुम प्यादे नहीं सियासत के
फिर बनों एक ना करो तुम हिंसा, रहो सदा हिफ़ाज़त से
बहुत खूब 👍
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धन्यवाद दोस्त
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