Monthly Archives: November 2013

मुझे एक दिन जाना, हूँ बिटिया किसी की

  मुझे एक दिन जाना, हूँ बिटिया किसी की वो बाबुल का आँगन, वो बाबुल की बगियाँ क्यूँ छोड़ आई वो ममता की नदियाँ मम्मी के आँचल में चुपके से छिपना बहुत याद आवे वो छुप के निकलना मैं रोई … Continue reading

Posted in जीवन | Leave a comment

सखी जरा तुम आ जाना

सखी जरा तुम आ जाना पर आके फिर बस मत जाना आँगन के सूखे फूलों में तुम थोड़ी सुगंध बसा जाना सुनो जरा खामोश है मौसम, और दिशाएँ सोई हैं मेरे संग चौखट पे सारी रात ये रोई हैं इस … Continue reading

Posted in जीवन | Leave a comment

क्या जिंदगी है आज ही या रुकेगी कल कहीं

क्या जिंदगी है आज ही या रुकेगी कल कहीं तभी रुकेगी जिंदगी जब प्यार को हो पल नहीं रुको नहीं चले चलो, झुको नहीं चले चलो जो हार कि फटकार हो फिर जीत कि फसल वहीँ  नया जोश होश हो, … Continue reading

Posted in जीवन | Leave a comment

तुम्हारी याद आती है और मैं गुनगुनाता हूँ

तुम्हारी याद आती है और मैं गुनगुनाता हूँ मुस्कुरा के शायद तुम्हें भुलाता हूँ तुम मेरे पास हो यही सोच ना रोता हूँ, ना रुलाता हूँ बस ये तस्वीर जानती है कैसे खुद को सुलाता हूँ कुछ दर्द होते हैं … Continue reading

Posted in जीवन | Leave a comment

लक्ष्य है स्वीकार कहना पड़ेगा

चल रहा पंथी गगन में गीत गाता शून्य-सा नभ में भ्रमता-भ्रमाता सांस चलती है पथिक चलना पड़ेगा अब हार पर जीत का परचम उड़ेगा, लक्ष्य है स्वीकार कहना पड़ेगा देख तेरी इस मायूसी को सूर्य ने चमकना भुलाया नभ-चंद्र ने … Continue reading

Posted in जीवन | Leave a comment

है सूना घरौंदा की बिटिया नहीं है

ये खिलौना है तेरा, ये बिछौना है तेरा तू नव्या उजेरा, ये बसेरा है तेरा है सूना घरौंदा की बिटिया नहीं है है दूना बस रोना की बिटिया नहीं हैं  तेरा मुस्कुराना, वो रोना फिर हँसना हँस के, सुबक के, … Continue reading

Posted in जीवन | Leave a comment

मैंने सुना है तुम कल आओगी….

पुरानी किताब और गुलाब की सूखी पंखुरियाँ मोर पंख में चिपकी मानों हर रंग की परीयाँ मैंने धीरे से उन्हें सहलाया, थोड़ा पुचकारा मंद – मंद मुस्काके, आँखों के पानी से नहलायाबोलो कभी तुम भी अपने सिरहाने रखी मेरी तस्वीर … Continue reading

Posted in जीवन | Leave a comment