Monthly Archives: March 2015

कुछ दिन मनोरम होते हैं

कुछ दिन मनोरम होते हैं और किसी दिन को हम मनोरम बनाते हैं हमारा मुस्कुराना, गुदगुदाना उसी अनुपात में आता है, जितना जीने की आस और संसार की रास से रस निकलता है कल कोई आपके पास था – आज़ … Continue reading

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खेत और खलिहान हरे थे

हमारे किसानों को इस बेमौसम बरसात से काफी नुकसान हो गया खेत और खलिहान हरे थे कृषकों की आशा से लदे थे अमृत-सी बूंदे थी लगती वो हो बिन मौसम तो फसल बहे रे अब बचपन में गेहूं है रोये … Continue reading

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