Monthly Archives: September 2012

पिता

बरसों बीत गए यूं चलते हमको यूं मज़बूत बनाते क्या धूप-छाँव, कब बरसा सावन हमको बस करने को पावन दिन-दिन यूं ही बीत गए विद्यालय हमको पहुँचाते घिसा अंगोछा, फटी बनियान पर मेरा कुर्ता सिलवाते हाँ, हाँ बिलकुल वो पिता … Continue reading

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यह जीवन क्या है पानी है

यह जीवन क्या है पानी है सुख-दुःख इसके दो सानी हैं मानो बस एक जल धारा है जिसमें बहते ही जाना है  वक़्त का पहिया चलता कहता चलते जाना बहते जाना जाना भी है, जल भी गहरा मेरा-तेरा स्वार्थ का … Continue reading

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गाँव-शहर

हरे-भरे खेत, वो नीम का पेड़ सरसों के फूल और मवेसियों का घेर पंचायत का चबूतरा सुबह का सूरज बीच गाँव उतरा धोती-कुर्ता और अंगोछे  का लिबास रोटी-चटनी और छाछ का गिलास मिटटी की खुशबु और सुबह की ओस नीले गगन … Continue reading

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ये उजाली भी अब ढल रही है

ये उजाली भी अब ढल रही है कलकलाती नदी चुप – सी बह रही है शांत से निर्झर में ना संगीत है इंसान ही इंसान से भयभीत है  अब पर्वत भी नीचा लगता है दिन में भी इंसा सोता है आलाप … Continue reading

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माँ

देखो ये बदला वो बदला, मैं भी बदला पर माँ तुम वैसी की वैसी हो सर्द में नर्म धूप-सी मीठी हाँ बिलकुल माँ जैसी हो  तुम पत्थर ना कोई मूरत हो माँ, ममता की सूरत हो चरणों में तेरे है … Continue reading

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