Monthly Archives: December 2012

फिर साल ये पिछला हुआ और वर्ष नूतन आ गया

फिर साल ये पिछला हुआ और वर्ष नूतन आ गया नई खुशियों को उगाने और उसमे गीत गाने नई आशा को पिरोने और उसमे जीत बोनेदेखो नया ये भोर है चिंता नहीं ये डोर है नव वर्ष की ये धूप … Continue reading

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ऐ दिल्ली वालों तनिक डरो

ऐ दिल्ली वालों तनिक डरो गर यमुना में पानी हो, धर चुल्लू में डूब मरो काला-तेरा लाल किला है और खाकी वर्दी भी काली है चीरहरण होते ‘बस’ चौराहे पर, शर्म करो बस शर्म करो  दुहसासन-सा बना प्रशाशन, और पुलिस-तंत्र … Continue reading

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विवश-नारी

बहू बिन दहेज नहीं सुहाती मुझे कोख की मासूमीयत नहीं रिझाती मुझे हाँ बिल्कुल, बेटे की ज़िद पर, बेटी की इच्छा दबाता हूँ मैं और पुरुष प्रधान समाज की वेदना भाती मुझे  तेरी क्या मुझसे समता है मैं भूल गया, … Continue reading

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