Monthly Archives: April 2014

चुनाव

देखो-देखो कौन है ये, टोपी सर पर डाले‘हाथ’, ‘कमल’ कोई और ले गया ‘झाड़ू’ तेरे पाले कौन यहाँ नेता है मेरा, देखें चलकर रैलीसारे चक-चक चमक रहें हैं, किसकी चादर मैली ? महँगी बिजली-पानी और महँगी है रोटी-तरकारीबेरोज़गारी-लाचारी में, पिसती  … Continue reading

Posted in जीवन | Leave a comment

मैंने देखा है एक दीपक, जो कभी प्रकाशमान था

मैंने देखा है एक दीपक, जो कभी प्रकाशमान था किंतू आज एक तश्वीर के सामने विराजमान है कभी उस दीपक की छठा याद की व्याथा दिखाती है तो कभी अपने बुझ जाने पर गरुड़ कथा सुनाती है माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी, … Continue reading

Posted in जीवन | Leave a comment