Monthly Archives: June 2017

मुझको यही पसंद है अब लौट आइये

मुझको यही पसंद है अब लौट आइये बेकार अपने पाव में छालें ना डालिए मुश्किल से उनके दिल में कुछ ही जगह मिली इसको भी अब मरोड़ कर ना फेंक डालिए कौन कहता है की जुड़ाव हो नहीं सकता एक … Continue reading

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ये दर्द दो नशों का ग़ुलाम बन गया

ये दर्द दो नशों का ग़ुलाम बन गया कभी गीत बन गया कभी जाम बन गया हम ना बोले कभी, वे ना समझे कभी उनके इश्क़ में कोई पागल था ये क़िस्सा आम बन गया उन्होंने खेल समझा था हमने … Continue reading

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