Monthly Archives: May 2016

उन्हें सामने पा घबराता क्यूँ है

उन्हें सामने पा घबराता क्यूँ है नज़र को बोलने दे शर्माना क्यूँ है दिल-ए-हाल भेजना था पर खाली कागज़ भेज दिया सब कुछ तो पता है उन्हें, फिर लिखना क्यूँ है आना था उन्हें इस शाम भी मिलने जब मालूम … Continue reading

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तुम अपनों को कब तक ग़ैरों में गिनोगे

तुम अपनों को कब तक ग़ैरों में गिनोगे वक़्त आने दो पैरों में पड़ोगे मेरे नाम पर कब तक धुल फेकोगे मौका आने दो तुम फूल फेंकोगे आज़ है ये, कल का पता नहीं कल मेरा नाम इज्ज़त से बोलोगे … Continue reading

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ना जाइए दूर, करीबी बनाए रखिये

ना जाइए दूर, करीबी बनाए रखिये थोड़ी देर और मुझमे समाए रहिये ये हसीं रात फिर हो ना हो बरसती चाँदनी में बस नहाते रहिये बगेर कुछ बोले यूँ ही बैठेरहो निगाहों से सुनते-सुनाते रहिये ना इश्क, ना प्रेम, न … Continue reading

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