Monthly Archives: April 2018

जीवन चलता है

कुछ सपने बिकते मोती भाव, कुछ मोती सीप में रोते है । पतवार आप ही खेती नाव, अपने समीप जब होते है ।। यूँ तो कुछ हँसते भी होंगे, जब डगमग हो गिर जाते हो । कुछ चाल तेज़ हो … Continue reading

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माँ – मिला जो फ़िर उनसे आँखें भरी

मिला जो फ़िर उनसे आँखें भरी बिछुड़ा फ़िर उनसे नदी-सी बही कुछ दिन बिताए साए में उनके अब कैसे बिताऊँगा पता ही नहीं लड़खड़ाती चले वो लिए झुर्री नई अब भूलने लगी है किसी की कही जब चलने लगा पूछा … Continue reading

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कभी वो मुसाफ़िर

एक राह मुड़कर, वहीं आई है आख़िर जहाँ से चला था, कभी वो मुसाफ़िर कुछ था बदला, कुछ बदला नहीं जी कुछ तो खुला था, कुछ परदा वही जी देखा एक गाँव कुछ बचपन के पाँव मटकती-सी यादें बिछड़ों से … Continue reading

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