Monthly Archives: March 2018

याद है ये सफ़र कब शुरू हुआ था

याद है ये सफ़र कब शुरू हुआ था कब से वो हमसफ़र से बीत रहे हैं कौन-कौन दबे पाँव हमारे साथ चला था भला कितने क़दम साथ रहे हैं यूँ तो साथ अब भी चलती हैं टोलियाँ कुछ बदली-सी बोलियाँ … Continue reading

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रखे शब्दों को फूलों पर, यूँ ही गीत बना बैठा

है प्यार वही जो ढले नहीं मन की पीड़ा को मले नहीं दीपक जलता बिन तेल नहीं दरिया की मिट्टी बहे नहीं जो रूठ गया वो बीता मौसम बिखरे पत्ते, कब रोता शीशम कर पत्थर अरमानों को, गूँगी तश्वीर बना … Continue reading

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कुछ ऐसे ये होली मानते हैं हम 

मित्रों से ख़ुशी झूम जाते हैं हम  मिलकर ये होली मनाते हैं हम  गिलेशिकवे जो भी रहे साल भर  चलो हँसकर उन्हें भूल जाते हैं हम  कुछ ऐसे ये होली मानते हैं हम  तुम लगती प्रिये मलाई-सी आज  पकड़ी पिया … Continue reading

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