Monthly Archives: August 2012

मैं तो शब्दों की पंक्ति हूँ पर तुम मेरी गीतमाला चंद्र बदन और चांदनी चन्दन की पाती हो तुम तह भुजंग-सी लिपटी सी केसों की माला हो तुम मैं हूँ बादल नीले अम्बर का आकार ना मेरा निश्चित है सौ–सौ … Continue reading

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आशा

यूं ही होती हैं रातें और सोती हैं दिन की बातें हुआ सवेरा आशा आई साथ में दिन भर बाधा लायी छूई-मुई सी हर एक आशा आश्वासन की हर इक भाषा   पीने के पानी की आशा जीने के सानी … Continue reading

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ए पवन जा बह उधर मेरे पिता रहते जिधर हाँ मज़े में हूँ सही घर नहीं हूँ बस यही उन्हें कहना जी रहा हूँ याद को बस पी रहा हूँ   उठ रहा हूँ जग रहा हूँ रात होती सो … Continue reading

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पथिक

पथिक बना मैं घूम रहा हूँ सच्चाई से दूर खड़ा हूँ खुद की इच्छा खुद में सोई अनजानी सी रोई–रोई सच में सच से दूर पड़ा हूँ अस्तित्व मैं खुद का ढूंढ रहा हूँ पथिक बना मैं घूम रहा हूँ … Continue reading

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आजादी

इधर उधर चहूँ ओर बजे है आजादी के गीत देख तिरंगा फहर रहा अम्बर-तारे बीच तीन रंग सतरंग बना है और जन-गण-मन नवरंग विजय पताका झूम रहा अशोक चक्र के संग     दक्षिण में केरल है तो उत्तर में … Continue reading

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