Monthly Archives: July 2017

ये प्यार तुम्हारा है … ये प्यार तुम्हारा है

ये प्यार तुम्हारा है …ये प्यार तुम्हारा है इन नैनों में खो जाने को शृंगार हमारा है बिंदिया की लाली को आधी रहने दी है आधी अपनी साड़ी सादी ही रहने दी है तुम्हें रोज़ अपने हाथों से जब माँगों … Continue reading

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तुम्हें भला क्या दूँ मैं सजनी,ये प्यार तुम्हारा है

तुम्हें भला क्या दूँ मैं सजनी,ये प्यार तुम्हारा है नेह नयन और सुंदर बेला शृंगार तुम्हारा है धड़कन से तड़पन ना पूछो क्यूँ उलझन में ये मन ना पूछो करवट लेते रात कटी है, दिन ढलता है मुश्किल से पल … Continue reading

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नयन हैं निमंत्रण किसी से मिलन के

नयन हैं निमंत्रण किसी से मिलन के मिलन एक धरा का अनोखे गगन से गगन में मैं पंछी, हूँ प्यासा ही उड़ता उड़कर प्रिय से मिलन को तरसता मिलन को तरसते ये अम्बर और धरती सागर मिलन को नदियाँ भी … Continue reading

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बुढ़ापा

कोई कहे बूढ़े है आप, कोई कहे है उम्रदराज़ हौले से कोई बोल गया, सठिया इनके गए मिज़ाज देखा शीशे में चेहरा प्यारा पाया अद्भुत एक नज़ारा पूरे चेहरे पर झुर्री थी, हाथों के माँस भी झूलें हैं घुटनों में … Continue reading

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अजनबी शहर के चमकते-से रस्ते

अजनबी शहर के चमकते-से रस्ते तन्हाई पर मुस्कुराते रहे डगमगाता रहा पर मैं चलता रहा, सखी देर तलक याद आते रहे। ग़म मिलता रहा ग़म हम पीते रहे, रोज़ मरते रहे रोज़ जीते रहे, ज़िंदगी भी हमें आजमाती रही, और … Continue reading

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वक़्त बिताता हूँ किसी के इन्तेज़ार में

वक़्त बिताता हूँ किसी के इन्तेज़ार में रातें जागती हैं दिन कहाँ सजता है गीत, संगीत सभी गवाह हैं तेरे संग के अब ना ये गीत बोलता है, ना साज़ बज़ता है इन सिसकियों को दीवारों ने रोक रखा है … Continue reading

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प्रीतम जी अब मान भी जाओ मुझको बाबुल से मिलवाओ

प्रीतम जी अब मान भी जाओ मुझको बाबुल से मिलवाओ मानो पिया जी मानो, है पीहर को जाना घंटे भर के बाद ही चाहे तुम वापस ले आना हुई विदा मैं कई दिन बीते नहीं पता बाबुल हैं कैसे कैसे … Continue reading

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बाल कविता – नीला नीला ये आकाश 

नीला नीला ये आकाश मुझको लगता है ये ख़ास सूरज चमक रहा है इसमें और बिखेरता है प्रकाश पश्चिम में होता है अस्त फिर पूरब में उगता है मस्त तब अंधकार का होता नाश नीला नीला ये आकाश मुझको लगता … Continue reading

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