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बुझे हुए दीपों से पूछो

बुझे हुए दीपों से पूछो कितने रोशनदान बनाए अंधेरे को दूर भगा कर घर में कितने राम सजाए लौ ने कैसे ठुमक-ठुमक कर देखा ख़ुद को जला रही थी आधी बाती बची हुई तिरछी होकर बता रही थी एक बूँद … Continue reading

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