Monthly Archives: April 2016

इस गूँजते सन्नाटे में सुनो कौन पुकारता है

इस गूँजते सन्नाटे में सुनो कौन पुकारता है चलो बताओ यहाँ हमे कौन जानता है जो सुबह की धूप में फिर निखर जाते हैं देखो फूल भी समय आने पर बिखर जाते हैं आज़ भी मैं चाँदनी-सा सोया हूँ अपनों … Continue reading

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चलो तुम साथ तुम्हें वो सागर दिखाऊंगा

चलो तुम साथ तुम्हें वो सागर दिखाऊंगा नशा-ए इश्क की ताकत तुम्हें मैं फिर दिखाऊंगा इक बार झूठे से ज़रा नजरें तो मिलाओ तुम्हें शबनम से मलमल के दुल्हन मैं बनाऊंगा किसी कान्हे की तुम राधा, या राम की सीता … Continue reading

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