पाई-पाई जनता तरसे जीत हुई या हार

पाई-पाई जनता तरसे जीत हुई या हार
गए पाँच सौ पानी में हज़ार हुआ बेकार

लाभ किसे होता ना पूछो, किसको होता घाटा
असली बात पता चल जाती जब पड़ता है छापा
छपते ही नक़दी पूछो होती कैसे पार
पाई-पाई जनता तरसे जीत हुई या हार

धन-कुबेरों से जाने कैसे होता ‘जन-धन’ उपयोग
कैसे जनता मूरख बनती, विफल हो रहा नया प्रयोग
सिफ़र हो रहे आयोग हमारे क्या माया अपरंपार
पाई-पाई जनता तरसे जीत हुई या हार

जब अर्थव्यवस्था अर्थहीन हो, होगा कैसे रोग निदान
अधिकारी, आयोग बिक रहा बिकता उनका दीन-ईमान
और सूल का सुरमा कर के होता ना कोई उपचार
पाई-पाई जनता तरसे जीत हुई या हार
पाई-पाई जनता तरसे जीत हुई या हार

About Ashish kavita

प्रकाशित पुस्तक - मेरी कविता मेरे भाव https://www.amazon.in/dp/B07V7BSHL9?ref=myi_title_dp I am Ashish Mishra living in London from 10 years. Earned education from Delhi. At present working in Computer Software arena. Since childhood I am attached to Hindi poetry. I love hindi poem. My favourite poets are Ramdhari Singh Dinkar, Harivansh Rai Bachan, Maithili Sharan Gupt … Email address: ashish24mishra@gmail.com https://www.facebook.com/profile.php?id=100000578775200 Edit
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