हिंदी मेरी भाषा और हिंदी मेरी हर बात में
जैसे चंदा एक अकेला तारों की बारात में
हिंदी में मैं स्वप्न देखता, हिंदी में करता विचार
हिंदी मेरे मन का दर्पण, हिंदी ही इसका आधार
भारत की सारी भाषाएँ, हैं प्यारी-प्यारी वाणी
नदियाँ हैं सारी भाषाएँ और हिंदी गंगा का पानी
हिंदी में ‘माँ’ लिखना सीखा, राम पढ़ा है साथ में
हिंदी मेरी भाषा है और हिंदी मेरी हर बात में
सुना कबीर ने दोहे गाए अवधी हिंदी पुरवाई में
तुलसी की रामायण पढ़ ली, हिंदी की चौपाई में
हिंदी को कर गया निराला दे सुंदर शब्दों की माला
दिनकर जी की रश्मीरथी और बच्चन की मधुशाला
हिंदी भारत की आरती जैसे संध्या और प्रभात में
हिंदी मेरी भाषा है और हिंदी मेरी हर बात में