प्यार-मोहब्बत का एक दिन?क्यूँ ना और बनाया जाए
प्यार-मोहब्बत का ये दिन,क्यूँ ना रोज़ मनाया जाए
तुम्हें प्रेम की चिट्ठी लिखकर,कबतक उनको फाड़ा जाए
कबतक उनके ख़्वाबों को,तकिए के पास सुलाया जाए
जाने कब आए फ़रबरी, रुकी ये धड़कन मरी मरी
हर मौसम में क्यूँ ना, सावन को बुलवाया जाए
मेरा प्यार है पर्वत कोई,तुम उसपर नदियों-सी बहती
ऊँचे-नीचे रस्तों में,चलो मिलकर साथ निभाया जाए
तुम दिल की समर रंगीन,मैं साहिल बहता समीर
प्रेम भेंट को सुर से बांधे,फ़िर सरगम से सज़ाया जाए
प्यार-मोहब्बत का एक दिन?क्यूँ ना और बनाया जाए
प्यार-मोहब्बत का ये दिन, क्यूँ ना रोज़ मनाया जाए