और गरीबी हँस ले तू, देख मेरी ये रूखि रोटी
कल भी भूखा आज़ भी भूखा, कुटिया मेरी टूटी
दाल नहीं, चावल ना घर में, नहीं नमक ना तेल
धनिया जीरा नहीं बचा, गरम मसाला ना पचमेल
खेत नहीं खलिहान हैं खाली,किसी मूल का सूद है बाक़ी
कब से बिस्तर पर बीमार, मेरी बुढ़िया तेरी काकी
देख मेरी ये माली हालत, क्या तेरी आँख ना रोती
और गरीबी हँस ले तू, देख मेरी ये रूखि रोटी
दोनो बच्चों का कबसे, कब से स्वास्थ्य है बिगड़ा
बगेर दूध रोज़ हैं सोते, सूटर कब से उधड़ा
कैसे दे दूँ खेल खिलौने, चंदा मामा या छुक-छुक
हाय गरीबी तेरे कारण, बच्चें ताकें हैं टुक-टुक
दे देता स्कूल की फीस, मेरे पास जो होती
और गरीबी हँस ले तू, देख मेरी ये रूखि रोटी
बोल उदासी कैसे रोकूँ, नहीं बचा कुछ थोड़ा
फटा है कुर्ता, फटी है धोती, गमछा डोरा-डोरा
हे परम पिता परमेश्वर तुमसे, इतनी-सी है विनती
और गरीबी नहीं संभलती, कर दो उलटी गिनती
दिन मेरा जगता है संग-संग, पर रात नहीं ये सोती
और गरीबी हँस ले तू, देख मेरी ये रूखि रोटी